नारी की व्यथा -06-Dec-2021
नारी की व्यथा
सब आवाज़ उठाते है, जब बलात्कार हो जाता है तब,
जब कोई लड़की हवस का शिकार, हो जाती है तब,
उसकी आवाज़ उस समय दबायी जाती है,
चीख -चीख कर बताती उसकी अंतरात्मा,
कुचला था उसके शरीर को , पर चोट उसकी आत्मा को लगी,
कुछ लोग इसे रोज की बात कह कर टालते है,
शायद वो मर्द बन जाते है वस्त्र छीन कर,
कोई असर न हुआ उन पर वो बिलखती रही,
नोच कर जिस्म चले जाते है,
फिर आते है राजनीति पर रोटी सेंकने वाले,
कानो में रुई डाल कर बैठते है,
नारी सशक्तिकरण पर आवाज़ उठाते है,
खामोश होता है पुरा जहां,
आवाज़ उठायेंगे पहले अपनी मां -बहनों की इज्जत तो जाने दो,
दूसरे की बहनो पर जाति की लड़ाई करने वाले,
तुम्हारे भी घर में बेटी है,
छोटे कपड़े पर रोक लगाने वाले,
पर छोटी सोच वालों पर रोक लगाओ,
तुम जाति खोजते रहना,
उधर एक और बलात्कार होगा,
तुम सब राजनीति की कुर्सी बचाना,
उधर एक और वस्त्र छीन जाएगी,
फोड़ दो उन आंखों,और काट दो उन हाथों को जो उठे,
नारियों की इज्जत पर,
अब ना आराम ना चैन मिलेगा ,
जब तक ना नारियों को सम्मान मिलेगा,
न जानें और कितनी "निर्भया" बनेगी,
इन जालिमों को रौंद डालो,
सब बाद में राजनीति करना।
प्रिया पाण्डेय "रोशनी"
#प्रतियोगिता
Ravi Goyal
06-Dec-2021 11:43 PM
बहुत ही खूबसूरत और सटीक रचना 👌👌
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Niraj Pandey
06-Dec-2021 11:32 PM
😔😔
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Shrishti pandey
06-Dec-2021 11:23 PM
True hai
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